बुधवार, 30 नवंबर 2011

कितनी शानदार है यह मौत

कौन कहता है कि मौत आयी तो मर जाउंगा.
मै तो दरिया हूँ समंदर में उतर जाउंगा.

                        -अहमद नदीम क़ासमी

मौत आती है दबे पाँव
चुपचाप दबोचती है
जिस्म और जान को.
लोग अकाल मौत मरते हैं
निरुद्देश्य-निर्मम
बड़ी भयावह है यह मौत

पता नहीं कब

मुझे-तुझे या उसे
मौत आकर कस ले
शिकंजे में
बड़ी भयावह है यह मौत

चलते हुए

बस के नीचे कुचला जाना
कैंसर या दिल के दौरे का
शिकार होना
बड़ी भयावह है यह मौत

जिन्दगी से निराश हो

लगाना मौत को गले
या अनगिनत बीमारियों की
चपेट में आ जाना
बड़ी भयावह है यह मौत

लोग मर रहें है

पल-पल तिल-तिल
हम उनकी याद में
व्याकुल हैं
बड़ी भयावह है यह मौत

लेकिन कुछ लोग

जीते हैं शान से
नहीं चुपचाप मरते हैं शान से
किसी मासूम के लिए
देशहित
हंसते हुए कुर्बान होना
भय नहीं गर्व देता है
कितनी शानदार है यह मौत.

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