बुधवार, 30 नवंबर 2011

बेजान दिल

क्या?
80 करोड़ भूखे हैं देश में?
मैं कहता हूँ नहीं
80 नहीं, 35 करोड़ नहीं
न ही 35 लाख
35 हजार भी ज्यादा है
35 जीते-जागते इंसान
या इसे भी छोड़ो
केवल एक इंसान
एक
गरीबी में झुलसता
भूख से तिलमिलाता
तूफानी-सर्द हवाओं में
बिना कम्बल,
छत के बगैर
सोने को अकुलाता
क्यों?
तिसपर सवाल नहीं
क्यों मन में तुम्हारे
हृदयहीन तुम,
निष्ठुर
तुम्हारे लिए 80 करोड़ भूखे इंसान
और 80 करोड़ पत्थर के बेजान टुकड़ों में
कोई अंतर नहीं.

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