बुधवार, 30 नवंबर 2011

नवप्रभात

शैशव रात के
गहन अन्धकार में
अंडे की खोल तोड़
निकला एक नन्हा चूजा
पलकें झपकाते
देखता आस-पास
अन्धकार-अन्धकार
तभी अकस्मात
मद्धम चांदनी की किरणों ने
दिया प्रकट होने का आभास
चूजे ने देखा आस-पास
दुनिया है सुन्दर,
नहीं उदास
हाथ जोड़ विनती करता वह बार-बार
रात अब ढले नहीं
चाँद अब छुपे नहीं
भय से व्याकुल अपरम्पार
चाँद के छिप जाने पर
अंधियारी रात आयेगी
पगला वह क्या जाने?
निशा जब छँट जायेगी
चाँद डूबेगा
सूरज की किरणें
नवप्रभात लायेंगी.

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