मालिक की रोटी खाकर
दुम तो हिलाएगा
देश-हित का सपना
क्या कभी
उसके मन में आयेगा.
यह कुत्ता
कारों में चलता है,
भूख से बदहाल बच्चों को देखकर
शान से अकड़ता है
दिल-दिमाग पर हावी
यौनांग, जिह्वा और उदर
स्वार्थों की लम्बी पूंछ
लपलपाता इधर-उधर
अपनी बस्ती में भी
बसते देखा स्वानों को
मालिक की वफ़ा निभाते
काट खाते देखा इंसानों को.
दुम तो हिलाएगा
देश-हित का सपना
क्या कभी
उसके मन में आयेगा.
यह कुत्ता
कारों में चलता है,
भूख से बदहाल बच्चों को देखकर
शान से अकड़ता है
दिल-दिमाग पर हावी
यौनांग, जिह्वा और उदर
स्वार्थों की लम्बी पूंछ
लपलपाता इधर-उधर
अपनी बस्ती में भी
बसते देखा स्वानों को
मालिक की वफ़ा निभाते
काट खाते देखा इंसानों को.
nice
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