सोमवार, 2 अप्रैल 2012

तुम्हारी कविता

एक कविता लिखी तुमने
खुद के लिए
पढ़ा नहीं किसी ने
अच्छी कविता थी.
तुमने खोला जिसमें
अपने मनोभाव की व्यग्रता.
जब उकेरी कविता तुमने
कागज़ के बंजर मरूस्थल पर
पराये गम में
वह पूर्वोक्त से बेहतर थी.
फिर अपनी भावनाओं की कलम से
जमाने के दर्द को सजाया
कागज़ के वीराने में
पढ़ा जिसे सबने
थी वह सबसे शानदार कविता.
लेकिन जब उसे पुरस्कृत किया
रक्तरंजित हाथों ने
सोने के तमगे पहनाकर
तुम भी शामिल हो गए
भावी पीढ़ी के कातिलों में.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें